चंद्रयान 2 के IIRS ने ली चांद की सतह की पहली जगमगाती तस्वीर
इससे पहले 4 अक्टूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी किया था। इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली गई थी। इस तस्वीर में चंद्रमा के सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
नई दिल्ली। इसरो ने चांद की सतह की चमकीली और खूबरसूरत तस्वीर जारी की है और बताया है कि इसे चंद्रयान-2 में लगे इमेंजिग इन्फ्रेरेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS) ने ली है। IIRS को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे वह चंद्रमा की सतह से परिवर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश को माप सके।
बता दें कि चंद्रयान 2 के लैंडर को विक्रम को चांद की दक्षिणी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। लेकिन लैंडिंग से महज कुछ मिनट पहले ही लैंडर से सम्पर्क टूट गया। दुनिया भर में इसरो के इस प्रयास की काफी प्रशंसा हुई थी। इसरो का कहना था कि लैंडर भले ही सफल लैंडिंग न कर पाया हो, लेकिन ऑर्बिटर अब भी चांद की सतह के चक्कर लगा रहा है।
इसरो ने बताया कि IIRS को चंद्रमा पर सूर्य की परिवर्तित होने वाली किरणें, चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस तस्वीर के सामने आने के बाद से कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं। इससे पहले 4 अक्टूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी किया था। इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली गई थी। इस तस्वीर में चंद्रमा के सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
बता दें कि इसरो ने साफ किया था कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार हमारे मिशन में सिर्फ 2 फीसदी की ही कमी थी, 98 फीसदी मिशन सफल रहा है। उसी के आधार पर ही इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने लोगों से यह बात कही थी।
इससे पहले 4 अक्टूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी किया था। इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली गई थी। इस तस्वीर में चंद्रमा के सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
नई दिल्ली। इसरो ने चांद की सतह की चमकीली और खूबरसूरत तस्वीर जारी की है और बताया है कि इसे चंद्रयान-2 में लगे इमेंजिग इन्फ्रेरेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS) ने ली है। IIRS को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे वह चंद्रमा की सतह से परिवर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश को माप सके।
बता दें कि चंद्रयान 2 के लैंडर को विक्रम को चांद की दक्षिणी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। लेकिन लैंडिंग से महज कुछ मिनट पहले ही लैंडर से सम्पर्क टूट गया। दुनिया भर में इसरो के इस प्रयास की काफी प्रशंसा हुई थी। इसरो का कहना था कि लैंडर भले ही सफल लैंडिंग न कर पाया हो, लेकिन ऑर्बिटर अब भी चांद की सतह के चक्कर लगा रहा है।
इसरो ने बताया कि IIRS को चंद्रमा पर सूर्य की परिवर्तित होने वाली किरणें, चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस तस्वीर के सामने आने के बाद से कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं। इससे पहले 4 अक्टूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी किया था। इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली गई थी। इस तस्वीर में चंद्रमा के सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
बता दें कि इसरो ने साफ किया था कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार हमारे मिशन में सिर्फ 2 फीसदी की ही कमी थी, 98 फीसदी मिशन सफल रहा है। उसी के आधार पर ही इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने लोगों से यह बात कही थी।